Thursday, January 21, 2016

सियादेवी बालोद (Siyadevi,Balod)

छत्तीसगढ़ अंचल में दुर्ग संभाग के बालोद जिले – गुरुर तहसील से धमतरी मार्ग में ग्राम सांकरा (बालोद से 25 कि. मी. दूर ) से दक्षिण की ओर 7 कि. मी. कि दूरी पर देव स्थल ग्राम नारागांव स्थित हैं !


शक्ति – सौन्दर्य का अनोखा संगम अपने अप्रतिम प्राक्रतिक सौन्दर्य से पर्यटकों का मन मोह लेती हैं, दंडकारण्य पर्वत से प्रारंभ होकर गंगा मैया झलमला से बड़-भूम वन मार्ग में 17 कि.मी.पर हैं, दुर्ग जिले के एक मात्र प्राक्रतिक जल प्रपात एवं गुफ़ाओ के कारण नारागांव स्थित सियादेवी स्थल आध्यत्म एवं पर्यटक स्थल के रूप में प्रसिद्ध हैं !


वनाच्छादित यह पहाड़ी स्थल प्राक्रतिक जल स्त्रोतो के कारण और भी मनोहारी दिखाई पड़ता हैं ! इस पहाड़ी पर दो स्थानों से जल स्त्रोतों का उद्गम हुआ हैं


पूर्व दक्षिण से आने वाला झोलबाहरा और दक्षिण पश्चिम से आने वाला तुमनाला का संगम देखते ही बनता हैं, इसी स्थल पर देवादिदेव महादेव का पवित्र देव स्थल शोभायमान हैं, संगम स्थल से कल कल करती जालधारा मात्र 100 मी. कि दूरी पर एक प्राक्रतिक झरने के रूप में परिवर्तित हो जाती हैं इस झरने कि उचाई 50 फीट हैं इतनी ऊँचाई से पानी का चट्टानों पर गिरकर कोहरे के रूप में परिवर्तित हो जाना इसके प्राक्रतिक सौंदर्य को परिलाझित करती हैं ! पास ही स्थित वाल्मीकि आश्रम से वाल्मीकि जी इस द्रश्य को निहारते प्रतीत होते है

बालोद से 25 किमी. दूर पहाड़ी पर स्थित सियादेवी मंदिर प्राकृतिक सुंदरता से शोभायमान है जो धार्मिक पर्यटन स्थल कहा जाता है। यहां पहुंचने पर झरना, जंगल व पहाडो से प्रकृति की खूबसूरती का अहसास होता है। इसके अलावा रामसीता लक्ष्मण, शिव पार्वती, हनुमान, राधा कृष्ण, सियादेवी, भगवान बुद्ध, बुढादेव की प्रतिमाएं है। यह स्थल पूर्णत: रामायण की कथा से जुडा हुआ है।

ऐसा माना जाता है कि त्रेता युग में भगवान्‌ रामसीता माता और लक्षमण वनवास काल में इस जगह पर आये थे|यहाँ सीता माता के चरण के निशान भी चिन्हित किये गए हैं। बारिस में यह जगह खूबसूरत झरने की वजह से अत्यंत मनोरम हो जाती है। झरने को वाल्मीकि झरने के नाम से जाना जाता है। परिवार के साथ जाने के लिए यह बहुत बेहतरीन पिकनिक स्पाट है। यहाँ जाने का सबसे अच्छा समय जुलाई से फरवरी तक है|


No comments:

Post a Comment