Thursday, January 7, 2016

मल्हार (Malhar)

मल्हार बिलासपुर से 40 किमी दूर है। यह मस्‍तूरी ब्लॉक से 15 किलोमीटर दूर बिलासपुर-रायगढ़ मार्ग पर स्थित है। इसके अलावा सरवपुर के रूप में जाना जाता है, यह एक बार छत्तीसगढ़ की राजधानी बनी चुकी है। यह अपने पुरातात्विक स्थलों के लिए जाना जाता है। पटेलेश्‍वर मंदिर, देवरी मंदिर और दिंदेश्‍वरी मंदिर 10 वीं और 11 वीं सदी के प्राचीन मंदिरों में से कुछ हैं। जैन धर्म के स्मारक इस जगह से खुदाई में निकले।





विष्‍णु के चार हाथ वाली मूर्ति पर्यटकों को आकर्षित करती है। ईसा पूर्व 1000 से कलचुरी राजवंश के प्राचीन अवशेष इस साइट में पाये गये है। पटलेश्‍वर केदार मंदिर आकर्षण का केंद्र है, जहां गोमुखी शिवलिंबग बनाया गया है। डिंदेश्‍वरी मंदिर मंदिर कलचुरी शासन के अंतर्गत आता है।
दयोर मंदिर में कुछ मंत्रमुग्ध कलात्मक मूर्तियां हैं। मल्हार में एक संग्रहालय है, जिसकी देख भाल सरकार करती है। इसमें प्राचीन मूर्तियों का एक अद्भुत संग्रह है। मल्हार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा स्वीकृत प्रसिद्ध पुरातात्विक शहरों में से एक है। चीनी इतिहासकार सूज़ैंग भी यहां आए थे, जिस वजह से इस जगह को प्रमुखता दी गई है।






डिंडनेश्वरी देवी मंदिर
भारत वर्ष में 52 शक्तिपीठ है उनमे से 51 वां शक्तिपीठ मल्हार में स्थपित है | यहाँ स्थपित डिंडनेश्वरी देवी की प्रतीमा मूर्तिकला का सर्वोत्तम नमूना है | शुद्ध काले ग्रेनाईट से निर्मित इस प्रतीमा की विशेषता है की कठोर वस्तु से इस प्रतीमा में ठन – ठन की ध्वनि उत्पन होती है|

नंदमहल
मल्हार पुरातत्व वैभव से परिपूर्ण है | यहाँ अनेक मंदिर के अवशेष मिले है जिनमे जैन तीर्थकर की मुर्तिया प्रमुख है | महार के केंवट मोहल्ले में जैन तीर्थकर सुपार्श्वनाथ के साथ ही नौ तीर्थकरो की पर्तिमाये स्थपित है जिसे ग्रामवासी नंदमहल कहते है |


कैसे पहुचे
डिंडनेश्वरी देवी मंदिर जो की छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले मे स्थित है वह जाने के लिए सबसे अच्छा साधन है बस,या फिर खुद की ट्रांसपोर्ट व्यवस्था —
अगर आप बस से यात्रा करना चाहते है तो यह जगह बिलासपुर से 30 कि॰ मि॰ कि दूरी पर जोंधरा मार्ग पर ग्राम मल्हार पर स्थित है।
और अगर आप ट्रेन से यात्रा करना चाहते है तो निकटतम रेल्वे स्टेशन है बिलासपुर |

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