Thursday, January 7, 2016

लक्ष्मण मंदिर,सिरपुर

लक्ष्मण मंदिर भारत में ईटों से निर्मित पहला मंदिर है। यह रायपुर से लगभग 90 किमी. की दूरी पर स्थित है, जो छत्‍तीसगढ की राजधानी है। इसमें बारीक नक्‍काशी और कला का चित्रण है जो इस मंदिर को और आकर्षित बनाती है। ईटों से बना यह मंदिर, एक ऊंचे प्‍लेटफॉर्म पर और तीन प्रमुख भागों में बना हुआ है जिन्‍हे गर्भ गृह ( मुख्‍य घर ), अंतराल ( पैसज ) और मंडप ( एक शेल्‍टर ) कहा जाता है। अन्‍य धर्मो को भी खूबसूरती से मंदिर में वातायान, चित्‍या गोवाक्‍सा, भारवाहाक्‍गाना, अजा, कीर्तिमख और कामा अमालक के रूप में डिजाइन किया गया है।

लक्ष्मण मंदिर की प्रेम कहानी ताजमहल से भी अधिक पुरानी है। दक्षिण कौशल में पति प्रेम की इस निशानी को 635-640 ईसवीं में राजा हर्षगुप्त की याद में रानी वासटादेवी ने बनवाया था। खुदाई में मिले शिलालेखों के मुताबिक प्रेम के स्मारक ताजमहल से भी अधिक पुरानी प्रेम कहानी लक्ष्मण मंदिर स्मारक के रूप में प्रमाणित है।

शैव धर्मावलंबी श्रीपुर (मौजूदा सिरपुर) में मगध नरेश सूर्यवर्मा की बेटी वैष्णव धर्मावलंबी वासटादेवी की प्रेम कहानी का उल्लेख हालांकि चीनी यात्री ह्वेन सांग ने भी अपनी यात्रा वित्रांत किया है, लेकिन प्रेम की निशानी का सनसनी खेज खुलासा लक्ष्मण मंदिर से मिले नए तथ्यों से हुआ है। भूगर्भ से उजागर हुए तथ्यों से स्पष्ट है कि ईसवी 635-640 के बीच रानी वासटादेवी ने राजा हर्षगुप्त की स्मृति में लक्ष्मण स्मारक का निर्माण करवाया। नित नए उद्घाटित पुरा अवशेषों के लिए सिरपुर विश्व धरोहर की राह में है। यहां का पुरा इतिहास लक्ष्मण मंदिर के वैभव से सदैव जुड़ा रहा। हरेक कालक्रम में इससे जुड़े नए तथ्य भी सामने आए, जिसमें लगभग पंद्रह सौ वर्षों पूर्व निर्मित ईंटों से बनी इस इमारत की शिल्पगत विशेषताओं की अधिक चर्चा की गई।

प्राकृतिक आपदाओं से बेसर
लक्ष्मण मंदिर की सुरक्षा और संरक्षण के कोई विशेष प्रयास न किए जाने के बावजूद मिट्टी के ईंटों की यह इमारत अपने निर्माण के चौदह सौ सालों बाद भी शान से खड़ी हुई है। 12वीं शताब्दी में भयानक भूकंप के झटके में सारा श्रीपुर (अब सिरपुर) जमींदोज़ हो गया। चौदहवीं-15वीं शताब्दी में चित्रोत्पला महानदी की विकराल बाढ़ ने भी वैभव की नगरी को नेस्तनाबूत कर दिया लेकिन बाढ़ और भूकंप की इस त्रासदी में भी लक्ष्मण मंदिर अनूठे प्रेम का प्रतीक बनकर खड़े रहा है। हालांकि इसके बिल्कुल समीप बना राम मंदिर पूरी तरह ध्वस्त हो गया और पास ही बने तिवरदेव विहार में भी गहरी दरारें पड़ गई।

ताज से 11 सौ साल पहले बना यह मंदिर
आगरा में अपनी चहेती बेगम आरजूमंद बानो (मुमताज) की स्मृति में शाहजहां ने ईसवी 1631-1645 के मध्य ताजमहल का निर्माण कराया। सफेद संगमरमर के ठोस पत्थरों को दुनियाभर के बीस हजार से भी अधिक शिल्पकारों द्वारा तराशी गई इस कब्रगाह को मुमताज महल के रूप में प्रसिद्धि मिली। ताजमहल से लगभग 11 सौ वर्ष पूर्व शैव नगरी श्रीपुर में मिट्टी के ईंटों से बने स्मारक में विष्णु के दशावतार अंकित किए गए हैं और इतिहास इसे लक्ष्मण मंदिर के नाम से जानता है।

नारी के मौन प्रेम और समर्पण का प्रतीक
साहित्यकार अशोक शर्मा ने ताजमहल को पुरूष के प्रेम की मुखरता और लक्ष्मण मंदिर को नारी के मौन प्रेम और समर्पण का जीवंत उदाहरण बताया है। उनका मानना है कि इतिहास गत धारणाओं के आधार पर ताजमहल और लक्ष्मण मंदिर का तुलनात्मक पुनर्लेखन किया जाए तो लक्ष्मण मंदिर सबसे प्राचीन प्रेम स्मारक सिद्ध होता है।

समय की भाल पर चमकती बिंदी
गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर ने ताजमहल को समय के गाल पर जमा हुआ आंसू कहा है, लेकिन लक्ष्मण मंदिर समय के भाल पर आज भी बिंदी सा चमक रहा है।

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