Tuesday, December 29, 2015

बारसूर (Barsoor)

दंतेवाड़ा से 34 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बारसूर तक पहुँचने के लिये गीदम से होकर जाना पड़ता है। बारसूर गीदम से 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ गणेश जी की विशाल मूर्ती है। बारसूर नाग राजाओं एवं काकतीय शासकों की राजधानी रहा है। बारसूर ग्यारहवीं एवं बारहवीं षताब्दी के मंदिरो के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ के मंदिरों में मामा-भांजा मंदिर मूलतः शिव मंदिर है। मामा-भंजा मंदिर दो गर्भगृह युक्त मंदिर है इनके मंडप आपस में जुड़े हुये हैं।यहाँ के भग्न मंदिरों में मैथुनरत प्रतिमाओं का अंकन भी मिलता है। इतिहासकार एवं विख्यात शिक्षाविद डॉ.के.के.झा के अनुसार यह नगर प्राचीन काल में वेवष्वत पुर के नाम से जाना जाता था। चन्द्रादित्य मंदिर का निर्माण नाग राजा चन्द्रादित्य ने करवाया था एवं उन्हीं के नाम पर इस मंदिर को जाना जाता है। बत्तीस स्तंभों पर खड़े बत्तीसा मंदिर का निर्माण बलुआ पत्थर से हुआ है। इसका निर्माण गंगमहादेवी ने सोमेष्वर देव के शासन काल में किया। इस मंदिर में षिव एवं नंदी की सुन्दर प्रतिमायें हैं। एक हजार साल पुराने इस मंदिर को बड़े ही वैज्ञानिक तरीके से पत्थरों को व्यवस्थित कर बनाया गया है। ये मंदिर आरकियोलाजी विभाग द्वारा संरक्षित स्मारक हैं। गणेष भगवान की दो विशाल बलुआ पत्थर से बनी प्रतिमायें आष्चर्य चकित कर देती है। मामा-भांजा मंदिर शिल्प की दृश्टि से उत्कृष्ट एवं दर्शनीय है।

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