Friday, January 1, 2016

मैनपाट 'छत्तीसगढ़ का शिमला' (Mainpat)

मैनपाट भारत के राज्य छत्तीसगढ़ का एक पर्यटन स्थल है। यह स्थल अम्बिकापुर नगर, जो भूतपूर्व सरगुजा, विश्रामपुर के नाम से भी जाना जाता है, से 75 किमी. की दूरी पर अवस्थित है। अम्बिकापुर छत्तीसगढ़ राज्य का सबसे ठंडा नगर है। मैनपाट में भी काफ़ी ठंडक रहती है, यही कारण है कि इसे 'छत्तीसगढ़ का शिमला' कहा जाता है। 1962 ई. से यहाँ पर तिब्बती लोगों के एक समुदाय को भी बसाया गया है।

मैंनपाट विंध्य पर्वतमाला पर स्थित है।
समुद्र की सतह से इसकी ऊँचाई 3,780 फीट है।
मैनपाट की लम्बाई 28 किमी. और चौड़ाई 10-12 किमी. है।
यह प्राकृतिक सम्पदा से भरपुर और एक बहुत ही आकर्षक स्थल है।
'सरभंजा जल प्रपात', 'टाईगर प्वांइट' और 'मछली प्वांइट' यहाँ के श्रेष्ठ पर्यटन स्थल हैं।
छत्तीसगढ़ के इस स्थान से ही रिहन्द एवं मांड नदियाँ निकलती हैं।
यहाँ पर तिब्बती का भी बड़ी संख्या में निवास है।
एक प्रसिद्ध बौद्ध मन्दिर भी यहाँ है, जो तिब्बतियों की आस्था का प्रमुख केन्द्र है।
शायद यही कारण है कि यह 'छत्तीसगढ़ का तिब्बत' भी कहा जाता है।

छत्तीसगढ़ के मैनपाट की वादियां शिमला का अहसास दिलाती हैं, खासकर सावन और सर्दियों के मौसम में। प्रकृति की अनुपम छटाओं से परिपूर्ण मैनपाट को सावन में बादल घेरे रहते हैं। लगता है, जैसे आकाश से बादल धरा पर उतर रहे हों। रिमझिम फुहारों के बीच इस अनुपम छटा को देखने पहुंच रहे पर्यटकों की जुबां से निकलता है...वाकई यह शिमला से कम नहीं है।

मैनपाट की वादियां यों तो पहले से ही खूबसूरत हैं, लेकिन बादलों की वजह से इसकी खूबसूरती में चार चांद लग गए हैं। शिमला, कुल्लू-मनाली जैसे पर्यटन स्थलों में प्रकृति की अनुपम छटा देख चुके लोग जब मैनपाट की वादियों को देखते हैं तो इसकी तुलना शिमला से करते हैं।

अंबिकापुर से दरिमा होते हुए मैनपाट जाने का रास्ता है। मार्ग में जैसे-जैसे चढ़ाई ऊपर होती जाती है, सड़क के दोनों ओर साल के घने जंगल अनायास ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। सावन में बादलों के कारण इसकी खूबसूरती और बढ़ जाती है।

मैनपाट के लोगों का कहना है कि ठंड के दिनों में भी ऐसा नजारा अक्सर देखने को मिलता है। सुबह काफी देर तक घना कोहरा छाया रहता है और दोपहर में भी धूप के बावजूद उष्णता का अहसास नहीं होता। लेकिन जुलाई महीने में मैनपाट में ऐसा नजारा देख पर्यटक अचंभित रह जाते हैं।

बादलों के काफी नीचे आ जाने के कारण सड़क ज्यादा दूर तक नजर नहीं आती। लोगों को सावधानी से वाहन चलाना पड़ता है। रिमझिम फुहारों के कारण कई स्थानों पर तो दिन में भी वाहनों की लाइट जलाने की जरूररत पड़ जाती है।

बादलों से घिरे मैनपाट के दर्शनीय स्थल हैं दलदली, टाइगर प्वाइंट और फिश प्वाइंट, जहां पहुंचकर लोग बादलों को नजदीक से देखने का नया अनुभव प्राप्त कर रहे हैं। मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो यह नजारा मौसम साफ होते ही समाप्त हो जाएगा और शरद ऋतु आते ही फिर वैसा ही नजारा देखने को मिलेगा। पर्यटक यहां की अनुपम छटाओं को कैमरे में कैदकर सोशल मीडिया पर भी पोस्ट कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थल मैनपाट में सुविधाओं की अब कमी नहीं रह गई है। मैनपाट पहुंचने का मार्ग भी पहले से बेहतर हो गया है। अंबिकापुर से दरिमा होते हुए कमलेश्वरपुर तक पक्की घुमावदार सड़क और दोनों ओर घने जंगल मैनपाट पहुंचने से पहले ही हर किसी को प्रफुल्लित कर देते हैं।

पर्यटन विभाग ने पर्यटकों के लिए यहां एक होटल भी बनवा दिया है। इसके अलावा कुछ निजी रिसोर्ट और गेस्ट हाउस भी ठहरने के लिए उपलब्ध हैं। यही वजह है कि अब सालभर न सिर्फ सरगुजा, बल्कि प्रदेश के दूसरे कोने से भी पर्यटक यहां की खूबसूरत वादियों को देखने और प्रकृति को करीब से जानने के लिए पहुंचते हैं।

 छत्तीसगढ़ के शिमला कहे जाने वाले मैनपाट के प्रमुख पर्यटन स्थलों और प्वाइंटों पर पहुंचना पर्यटकों के लिए आसान नहीं है। संभाग मुख्यालय अंबिकापुर से मैनपाट मुख्यालय कमलेश्वरपुर तक जरूर चकाचक सड़क बन चुकी है पर कमलेश्वरपुर से सभी प्रमुख पर्यटन स्थलों तक की सड़कें अत्यंत जर्जर अवस्था में हैं। इन दिनों खासकर जलजली में सैलानियों की भारी भीड़ उमड़ रही है पर महज तीन किमी. की सड़क सैलानियों के लिए दुःखदाई है।
उबड़-खाबड़ और खतरनाक रास्ते से होकर लोग जलजली पहुंच रहे हैं। जलजली से ठीक पहले घाट पर वाहन दुर्घटना के शिकार पर भी हो रहे हैं। जर्जर सड़क के बावजूद सरगुजा ही नहीं प्रदेशभर से पर्यटक इन दिनों मैनपाट पहुंच रहे हैं। शासन-प्रशासन के लाख कोशिशों के बाद भी प्रमुख पर्यटन स्थलों तक बेहतर सड़क न होने से लोगों में भारी निराशा है।
छत्तीसगढ़ के शिमला के नाम से विख्यात मैनपाट की प्राकृतिक सुंदरता से हर कोई वाकिफ है और हर मौसम में दूर-दूर से लोग यहां पहुंचते हैं। वर्षों बाद संभाग मुख्यालय अंबिकापुर से मैनपाट के कमलेश्वरपुर तक चकाचक सड़क बन पाई जिससे पर्यटकों का आनाजाना मुख्यालय तक तो आसान हो गया पर मुख्यालय के बाद प्रमुख दर्शनीय स्थलों तक पहुंचना अब भी पर्यटकों के लिए खतरे से कम नहीं है। मैनपाट के प्रमुख पर्यटक स्थलों में टाईगर प्वाइंट, मेहता प्वाइंट, मछली प्वाइंट के बाद अब जलजली पहुंचना भी लोगों के लिए मुसीबत से कम नहीं है। ठंड शुरू होते ही मैनपाट में दूरदराज से हर रोज भारी संख्या में सैलानी पहुंच रहे हैं।

इन दिनों मैनपाट की खूबसूरती ने टाऊ की ने चार चांद लगा दिया है, जिसे देख लोग आकर्षित हो रहे हैं। मैनपाट में टाईगर प्वाइंट, मेहता प्वाइंट, मछली प्वाइंट के बाद कमलेश्वरपुर थाने से महज तीन कि.मी. दूर स्थित जलजली स्थल तक पहुंचना लोगों के लिए किसी खतरे से कम नहीं है। जलजली एक ऐसा स्थल है, जहां की धरती हिलती है,जहां मस्ती करते लोग घंटों बीता देते हैं। जलजली के ऊपरी हिस्से पर जलजली प्वाइंट और ट्रेनिंग सेंटर वन विभाग ने स्थापित किया है, जहां लोग चारों ओर बड़े-बड़े साल के वृक्षों के बीच तम्बूओं में रात भी बीताने लगे हैं। कमलेश्वरपुर में निर्मित मोटल के बाद मात्र तीन किलोमीटर पर जलजली स्थित है।
पर यह तीन कि.मी. का मार्ग इतना खतरनाक है कि दो पहिया, चार पहिया तो दूर पैदल चलने वालों के लिए भी किसी खतरे से कम नहीं है। भारी संख्या में हर रोज यहां पर्यटक पहुंच रहे हैं जो न सिर्फ सरगुजा संभाग बल्कि पड़ोसी जिले कोरबा, जांजगीर-चांपा, बिलासपुर, रायगढ़ के साथ राजधानी रायपुर, भिलाई, दुर्ग और पड़ोसी राज्यों से भी लोग पहुंच रहे हैं। मैनपाट आकर सभी के चेहरे पर मुस्कान तो आ जाती है पर प्रमुख पर्यटन स्थलों पर पहुंचना पर्यटकों के लिए आसान नहीं है।

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