Monday, March 21, 2016

यहां एक बाल रख दें तो दुनिया के सारे बंधन तोड़ चली आती है प्रेमिका

देश में अनगिनत देवी मंदिर हैं, जहां अपनी-अपनी अनोखी मान्यताएं हैं। संतान, विद्या, दौलत की मन्नतें मांगने लोग अलग-अलग देवियों की शरण में जाते हैं। लेकिन बस्तर की मुकड़ी मावली देवी कुछ खास है। इनके पास लोग अपने प्रेमी-प्रेमिका, पति-पत्नी या पसंद के महिला-पुरुष का प्यार पाने की मन्नत मांगने आते हैं।


ऐसे मांगते हैं मन्नत
- जिस व्यक्ति को वश में करना हो, उसकी फोटो/बाल/इस्तेमाल किए गए कपड़े/कदमों की धूल लेकर आना होता है।
- इच्छित व्यक्ति का नाम लेते हुए निशानी को मंदिर के पास पत्थरों के नीचे दबा दिया जाता है।
- मन्नत पूरी हो जाने पर मां के सामने मुर्गा, बकरा, बत्तख या जिस भी पशु-पक्षी बलि देंगे, ये पुजारी को बताना होता है|

छुप-छुपकर आते हैं लोग
- मंदिर की देखरेख करने और लोगों को मन्नत मांगने के तौर-तरीकों में मदद के लिए वहां पुजारी मनोहर सिंह रहते हैं।
- उनका कहना है कि मन्नत मांगने के बाद इच्छित प्रेमी या प्रेमिका दुनिया के सारे बंधन तोड़कर चली आती है।
- काम बनते ही व्यक्ति अपने साथ मनौती की चीजें लेकर आता है, जिसकी बलि चढ़ाई जाती है।
- मंदिर में कभी इक्का-दुक्का लोग आते हैं, तो किसी-किसी दिन 50-60 लोग भी पहुंच जाते हैं।
- पुजारी के मुताबिक बहुत से लोग तो यहां छुपकर आते हैं और उनकी पहचान को गुप्त रखा जाता है।

महिलाएं भी पीछे नहीं
- मुकड़ी मावली की शरण में पहुंचने वालों में महिलाओं की संख्या भी काफी रहती है।
- मंदिर के आस-पास पत्थरों में दबाकर रखे गए फोटोग्राफ्स और कपड़े इस बात की पुष्टि करते हैं।
- परायी औरत की ओर आकर्षित हो रहे पति पर काबू पाने की मन्नत लिए महिलाएं भी यहां आती हैं।

महिलाओं की मंदिर में इंट्री बैन
- महिलाओं को इस मंदिर में आने या प्रसाद ग्रहण की मनाही है, वे देवी की मूर्ति रखी जगह पर नहीं जा सकतीं।
- वे करीब 50 मीटर दूरी पर रुककर पुजारी को अपने साथ लेकर आई हुई चीजें और मनोकामना के बारे में बताती हैं।
- जिन पुरुषों की पत्नी रजस्वला (Menstruate) या गर्भवती हो, उनको भी प्रसाद ग्रहण करने की मनाही होती है।
- मंदिर का प्रसाद घर ले जाना भी मना है। मान्यता है कि इससे अपशकुन होता है।

घने जंगल के बीच स्थित है मंदिर
- दंतेवाड़ा जिले में छिंदनार से करीब 4 किलोमीटर दूर के घने जंगल के बीच स्थित है मंदिर।
- मंदिर से बमुश्किल 300 मीटर की दूरी पर इंद्रावती नदी बहती है।
- करीब 3 फीट ऊंची देवी प्रतिमा पहले खुले आसमान के नीचे थी।
- पुजारी परिवार ने पब्लिक के सहयोग से कुछ साल पहले मंडपनुमा पक्की छत बनवा दी।
- पुजारी का परिवार पीढ़ियों से मां की सेवा करता आ रहा है।

साभार : दैनिक भास्कर समाचार पत्र 

No comments:

Post a Comment