आखिरकार ढोलकल में विराजे गणेश जी की प्राचीन प्रतिमा को जोड़कर फिर से उसी जगह स्थापित कर लिया गया। जैसे ही प्रतिमा पूरी होने की खबर आई, जनसैलाब उमड़ पड़ा। पथरीले पहाड़ी रास्ते में बच्चों से लेकर बूढ़े तक तकलीफ अौर जोखिम की परवाह किए बगैर ‘गणपति बप्पा मोरिया’ के नारों के साथ निकल पड़े और समुद्र तल से तीन हजार फीट ऊंची चोटी पर पहुंचे। रंग लायी मेहनत...
- फरसपाल समेत आस-पास के 5 गांवों के ग्रामीणों ने पुरखों के समय की धरोहर को उसी जगह पर फिर से स्थापित करने की मंशा जताई थी।
- प्रशासन और पुरातत्व विभाग की टीम ने पूरी ताकत झोंक दी और फोर्स ने भी काफी तकलीफ के बावजूद पूरे समय टीम को प्रोटेक्शन दिया।
- फरसपाल के थाना प्रभारी अनंत प्रधान तो पूरे समय प्रतिमा के साथ किसी मूर्तिकार की तरह डटे रहे।
ऐसे मनाई खुशियां
- बसंत पंचमी के दिन प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा के वक्त कठिन यात्रा कर लोगों ने बप्पा के दर्शन किए।
- कुछ महिलाएं तो दूधमुंहे बच्चों के साथ शिखर पर चढ़ती नजर आईं।
- आस-पास के गांवों के ग्रामीण ही नहीं बल्कि बस्तर, बीजापुर, सुकमा व कांकेर जिले तक के लोग ढोलकल यात्रा पर पहुुंचे।
- पहाड़ी के निचले हिस्से में ग्रामीण ढोल और पारंपरिक तुरही तोड़ी बजाते हुए नृत्य करते रहे।
- स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ कमिश्नर दिलीप वासनीकर, कलेक्टर सौरभ कुमार, एसपी कमलोचन कश्यप ने भी शिखर पर पहुंचकर टीम को बधाई दी।
काम आई वॉकी-टॉकी
- जिला प्रशासन के वॉकी-टॉकी से लैस होने से इस अभियान को काफी मदद मिली।
- पहुंच विहीन इलाके में एक-दूसरे से समन्वय स्थापित करने में वॉकी-टाकी उपयोगी साबित हुआ।
कब-कब क्या क्या हुआ
- 26 जनवरी को ढोलकल की ट्रेकिंग पर गए एक ग्रुप ने प्रतिमा को नदारद पाया।
- 27 जनवरी की सुबह यह खबर फैलने पर एसपी-कलेक्टर ने मौके पर पहुंचकर जायजा लिया और तलाशी मेंं मूर्ति के बिखरे टुकड़े पाए गए, जिन्हें समेटा गया।
- 28 जनवरी को प्रशासन ने 5 गांवों के ग्रामीणों से रायशुमारी की।
- 29 जनवरी को पुरातत्व विभाग की टीम ने ढोलकल में प्रतिमा को फिर से जोड़ने का काम शुरू किया।
- 30 जनवरी को खांचे की सफाई कर प्रतिमा के कमर तक का हिस्सा जोड़ लिया गया।
- 31 जनवरी को टीम ने प्रतिमा के उपलब्ध सभी 65 हिस्सों को जोड़कर प्रतिमा पुरानी जगह पर खड़ी कर दी।
- 1 फरवरी को टीम ने मौके पर पहुंचकर प्रतिमा को फाइनल टच दिया। इस बीच ग्रामीणों का समूह दर्शन के लिए ढोलकल शिखर पर पहुंचता रहा। - इसी दिन दोपहर साढ़े 3 बजे पुजारी गजलू वेट्टी ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच स्थानीय युवक अनिल कर्मा के साथ प्रतिमा की पुनस्र्थापना की और गणेश जी की आरती से पूरा इलाका गूंज उठा।
फैक्ट फाइल
- 67 टुकड़ों को जोड़कर प्रतिमा को फिर से पुराने स्वरूप में लाया गया।
- 8 घंटे रोजाना शिखर पर काम करता रहा दल।
- 5 किमी से ज्यादा दूरी तक रोजाना कठिन चढ़ाई करना पड़ता था दल को।
- 4 दिन लगे प्रतिमा को जोड़कर तैयार करने में।
- 3 घंटे का समय लगता था रोजाना पहाड़ चढ़ने-उतरने में।
Source: Dainik bhaskar
- फरसपाल समेत आस-पास के 5 गांवों के ग्रामीणों ने पुरखों के समय की धरोहर को उसी जगह पर फिर से स्थापित करने की मंशा जताई थी।
- प्रशासन और पुरातत्व विभाग की टीम ने पूरी ताकत झोंक दी और फोर्स ने भी काफी तकलीफ के बावजूद पूरे समय टीम को प्रोटेक्शन दिया।
- फरसपाल के थाना प्रभारी अनंत प्रधान तो पूरे समय प्रतिमा के साथ किसी मूर्तिकार की तरह डटे रहे।
ऐसे मनाई खुशियां
- बसंत पंचमी के दिन प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा के वक्त कठिन यात्रा कर लोगों ने बप्पा के दर्शन किए।
- कुछ महिलाएं तो दूधमुंहे बच्चों के साथ शिखर पर चढ़ती नजर आईं।
- आस-पास के गांवों के ग्रामीण ही नहीं बल्कि बस्तर, बीजापुर, सुकमा व कांकेर जिले तक के लोग ढोलकल यात्रा पर पहुुंचे।
- पहाड़ी के निचले हिस्से में ग्रामीण ढोल और पारंपरिक तुरही तोड़ी बजाते हुए नृत्य करते रहे।
- स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ कमिश्नर दिलीप वासनीकर, कलेक्टर सौरभ कुमार, एसपी कमलोचन कश्यप ने भी शिखर पर पहुंचकर टीम को बधाई दी।
काम आई वॉकी-टॉकी
- जिला प्रशासन के वॉकी-टॉकी से लैस होने से इस अभियान को काफी मदद मिली।
- पहुंच विहीन इलाके में एक-दूसरे से समन्वय स्थापित करने में वॉकी-टाकी उपयोगी साबित हुआ।
कब-कब क्या क्या हुआ
- 26 जनवरी को ढोलकल की ट्रेकिंग पर गए एक ग्रुप ने प्रतिमा को नदारद पाया।
- 27 जनवरी की सुबह यह खबर फैलने पर एसपी-कलेक्टर ने मौके पर पहुंचकर जायजा लिया और तलाशी मेंं मूर्ति के बिखरे टुकड़े पाए गए, जिन्हें समेटा गया।
- 28 जनवरी को प्रशासन ने 5 गांवों के ग्रामीणों से रायशुमारी की।
- 29 जनवरी को पुरातत्व विभाग की टीम ने ढोलकल में प्रतिमा को फिर से जोड़ने का काम शुरू किया।
- 30 जनवरी को खांचे की सफाई कर प्रतिमा के कमर तक का हिस्सा जोड़ लिया गया।
- 31 जनवरी को टीम ने प्रतिमा के उपलब्ध सभी 65 हिस्सों को जोड़कर प्रतिमा पुरानी जगह पर खड़ी कर दी।
- 1 फरवरी को टीम ने मौके पर पहुंचकर प्रतिमा को फाइनल टच दिया। इस बीच ग्रामीणों का समूह दर्शन के लिए ढोलकल शिखर पर पहुंचता रहा। - इसी दिन दोपहर साढ़े 3 बजे पुजारी गजलू वेट्टी ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच स्थानीय युवक अनिल कर्मा के साथ प्रतिमा की पुनस्र्थापना की और गणेश जी की आरती से पूरा इलाका गूंज उठा।
फैक्ट फाइल
- 67 टुकड़ों को जोड़कर प्रतिमा को फिर से पुराने स्वरूप में लाया गया।
- 8 घंटे रोजाना शिखर पर काम करता रहा दल।
- 5 किमी से ज्यादा दूरी तक रोजाना कठिन चढ़ाई करना पड़ता था दल को।
- 4 दिन लगे प्रतिमा को जोड़कर तैयार करने में।
- 3 घंटे का समय लगता था रोजाना पहाड़ चढ़ने-उतरने में।
Source: Dainik bhaskar
https://chaturpost.com
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