Monday, February 15, 2016

किसने बनाई इतने दुर्गम, इलाके में 3000 फीट की ऊंचाई पर ये गणेश की प्रतिमा

कुछ समय पहले पुरातत्व विभाग छत्तीसगढ़ में दंतेवाड़ा जिला से लगभग 30 km दुरी पर ढ़ोलकल नामक जगह पर भगवांन गणेश की मूर्ति की खोज की । ढोलकल की पहाड़ियों पर लगभग 3000 फ़ीट की उचाई पर सैकड़ो साल पुरानी यह गणेश की मूर्ति आज भी आश्चर्य का विषय बना  है । इतनी उचाई पर इतने  साल पहले यह मूर्ति स्थापित करना जोखिम से कम नहीं था पुरातत्वविदो का अनुमान यह है 10 वी शताब्दी में दंतेवाड़ा छेत्र  रक्षक के रूप नागवंशियों ने गणेश जी मूर्ति यहाँ स्थापित की ।

भव्य है यहाँ की गणेश की प्रतिमा 

पहाड़ी ऊपर स्थित गणेश की मूर्ति लगभग  6 फ़ीट ऊँची और 21 फ़ीट चौड़ी ग्रेनाइट पत्थर से बनी हुई है । यह प्रतिमा वास्तुकला की दृष्टि से बहुत ही कलात्मक है गणपति की इस प्रतिमा में ऊपरी दाय हाथ में एक फरसा है और ऊपरी बाये हाथ में एक टुटा हुआ दांत है नीचे  दाये हाथ में अभय मुद्रा में अक्षमाला  धारण किये हुए और निचे बाये हाथ में मोदक धारण  किये हुए है ।  पुरातत्वविदो के मुताबिक यह  इस प्रकार  प्रतिमा बस्तर में  कही नहीं मिलती है देखने को ।

श्री गणेश और परशुराम का युद्ध 

दंतेश के छेत्र को दंतेवाड़ा कहा  जाता है इस छेत्र में एक  कैलाश गुफा  है । इस छेत्र से जुडी एक मान्यता है की ये वही कैलाश छेत्र है जहा भगवान गणेश और परशुराम के बीच युद्ध हुआ था ।
यहाँ पर दंतेवाड़ा से ढोलकल पहुचने मार्ग में  ग्राम परसपाल मिलता है । जो परशुराम के नाम से जाना जाता है । इसके आगे ग्राम कोतवाल  आता है जिसका अर्थ होता है रक्षक ।

दंतेवाड़ा के रक्षक है श्री गणेश

मान्यताओ के अनुसार इतनी उची पहाड़ी पर भगवान गणेश की स्थापना नागवंशियों ने की थी ।
गणेश जी की उदर पर एक नाग का चिन्ह मिलता है कहा जाता है की मूर्ति निर्माण करवाते समय नागवंशियो ने यह चिन्ह भगवान गणेश पर अंकित किया होगा । कला की दृष्टि से यह मूर्ति 10 - 11 वी शताब्दी की (नागवंशी ) प्रतिमा कही जाती है।  

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