Tuesday, July 26, 2016

इस अनोखे शिवलिंग में हैं लाखों छिद्र

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 120 किलोमीटर दूर खरौद में एक दुर्लभ शिवलिंग स्थापित है। जिसे लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस शिवलिंग की इस खासियत के कारण इसकी पहचान दूसरे शिवलिंगों से अलग है। कहा जाता है कि इन छिद्रों में से एक का रास्ता सीधे पाताल तक जाता है। यह मंदिर छठवीं शताब्दी में बनाया गया था। जानें इसकी स्थापना के पीछे की रोचक कहानी...
नहीं रुकता चढ़ाया गया जल

- रामायण के समय के इस मंदिर में स्थित शिवलिंग में लाखों छिद्र हैं। संस्कृत में लाख को लक्ष कहा जाता है इसलिए इस शिवलिंग का दूसरा नाम लक्षलिंग भी है।

- ऐसा शिवलिंग खरौद नगर के अलावा और कहीं नहीं है। कहते हैं इस शिवलिंग के लाखों छिद्र में से एक छिद्र ऐसा भी है जो सीधे पाताल तक जाता है।

- पाताल जाने वाले इस छिद्र में कितना भी पानी डाला जाए, पानी रुकता ही नहीं है।

- यहां श्रावण महीने के सोमवार और शिवरात्रि के मौके पर मेला लगता है और काफी भीड़ होती है।

किसने की शिवलिंग की स्थापना :

- भगवान श्रीराम और लक्ष्मण को रावण की हत्या करने पर ब्रह्म हत्या का पाप लग चुका था। इस पाप से मुक्ति के लिए वे रामेश्वर में शिवलिंग स्थापित करके पूजा करना चाहते है।

- लक्ष्मणजी को सभी प्रमुख तीर्थो से जल लाने का कार्य दिया गया। जब लक्ष्मण जी गुप्त तीर्थ शिवरीनारायण से जल लेकर लौटने रहे थे तो वे बीमार हो गए।

- भाई राम के पास समय पर पहुंचने उन्होंने शिवलिंग स्थापित कर शिवजी की पूजा की।

- उनकी पूजा से खुश होकर शिवजी ने उन्हें दर्शन दिए और यह शिवलिंग लक्ष्मणेश्वर के नाम से मशहूर हुआ।

- बाद में राजा खड्गदेव ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। बताया जाता है की यह मंदिर छठी शताब्दी का बना हुआ है ।

- मंदिर के बाहर राजा खड्गदेव और उनकी पत्नी की हाथ जोड़े हुए मूर्ति भी है ।
खरौद नाम के पीछे है कहानी

- रामायण काल में श्री राम ने इस जगह दो राक्षस खर और दूषण का वध किया था, इस कारण इस जगह का नाम खरौद पड़ा।

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